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BOOK REVIEW







पुस्तक –पाँच पाण्डव ( कृष्णावतार पुस्तक श्रंखला का तृतीय खंड)
लेखक – कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
प्रकाशन – राज कमल प्रकाशन
भाषा – हिंदी
प्रकाशन वर्ष – २०१७
मूल्य –२६५/-

पाँच पाण्डव पौराणिक चरित्रों को आधार बनाकर अनेक श्रेष्ठतर आधुनिक उपन्यासों की रचना करनेवाले सुप्रसिद्ध गुजराती कथाकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का भारतीय कथा-साहित्य में अपना एक विशिष्ट स्थान है। अपनी कृतियों में उन्होंने सुदूर अतीत का जो विस्तृत जीवन-फलक प्रस्तुत किया हैवह जितना विराट है उतना ही आकर्षक भी , साथ ही वह वैज्ञानिकता की कसौटी पर भी खरा उतरता है। मुंशीजी का कृष्णावतार एक वृहत् उपन्यास हैसात खंडों में विभक्त किया गया है ।
पाँच पाण्डव तीसरे खंड का हिन्दी रूपान्तर है। अन्य खंडों की ही तरह अगर यह परस्पर संबद्ध हैतो अपने-आपमें एक पूरी कथा भी है। पाँचों पाण्डवों के जन्मविकास और संघर्षों-उपलब्धियों की इस रोचक-रोमांचक गाथा में आर्यावर्त के महान नायक श्रीकृष्ण की विलक्षण ऐतिहासिक भूमिका बड़ी कलात्मकता से रेखांकित हुई है।
पुराकालीन आर्यों की संघर्षशील गतिविधियोंनागों की अरण्य-संस्कृति और ‘राक्षस’ नाम से पुकारे जानेवाले प्रस्तरयुगीन मानवों की आदिम जीवनचर्या के जीवन्त चित्र का पूरी तरह से मुखर प्रस्तुतीकरण किया गया है।
इस वृहत ग्रन्थ श्रंखला में ब्रह्मा की महानता के अतिरिक्त श्रृष्टि की उत्पत्तिगंगा आवतरण तथा रामायण और कृष्णावतार की कथायें भी संकलित हैं।

आज की सदी में पुराकालीन घटनाओं को समझनें के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी है ।


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